Tuesday, July 23, 2019

Aroh Chapter 1 Literature आरोह प्रथम अध्याय गद्य भाग


विद्यार्थियों

आज हम आरोह पुस्तिका का अध्याय प्रथम गद्य भाग - भक्तिन (लेखिका: महादेवी वर्मा) करेंगे |


प्रश्न 1 - भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा महादेवी के इस कथन की समीक्षा कीजिए |
                 अथवा
भक्तिन अच्छी है पर उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं इस कथन के समर्थन में तीन तर्क दीजिए |
उत्तर -
भक्तिन अच्छी है यह कहना कठिन इसलिए है क्योंकि भक्तिन के दुर्गुणों का भाव नहीं है लेखिका
ने भक्तिन के दुर्गुणों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं है क्योंकि वह लेखिका
के इधर-उधर पड़े पैसों को भंडार घर की किसी मटकी में रख देती है पूछने पर मैं उसे संभाल कर रख
देने का तर्क देती है | वह सत्य असत्य की अपनी ही परिभाषा करती है कि घर में इधर-उधर पड़े पैसों
की मटकी में रख देने को मैं चोरी नहीं मानती उसका तर्क है कि वह ऐसा पैसे को संभाल कर रखने के
उद्देश्य से करती है | इसके अतिरिक्त  वह लेखिका को प्रसन्न करने के लिए किसी बात को इधर-उधर
घुमा कर कहती है | प्रसंग एवं समय के अनुसार वे मूल तत्वों से जोड़ घटाव कर देती है इसे तो माने
लोग झूठ कहते हैं वक्त इन सभी बातों एवं कामों को अपनी सुविधा के अनुसार डालने में बड़ी निपुण है |

प्रश्न 2 - भक्ति नाम किसने और क्यों दिया पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए |
अथवा
भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों चुप आती थी भक्तिन का नाम किसने और क्यों दिया? 
उत्तर -
भक्तिन का असली नाम लक्ष्मीन अर्थात लक्ष्मी था | लक्ष्मी का अर्थ धन की देवी लेकिन उसकी दशा
अपने नाम से बिलकुल मेल नहीं खाती थी | उसके जीवन में धन का घोर अभाव था इसलिए अपना असली
नाम किसी को नहीं बताती थी | उसकी वेशभूषा, उसके हावभाव, मुंडा हुआ सिर, गले में पड़ी हुई माला को
देखकर लेखिका महादेवी वर्मा ने उसका नाम भक्तिन रख दिया | यह नाम भक्तिन के बाहरी रूप को देखकर
बिल्कुल उचित प्रतीत होता है | यही करने की भक्ति ने अपने इस नए नामकरण का कभी विरोध नहीं किया
अन्यथा वे लेखिका से इतना घुलमिल गई थी कि उसे अपना नाम पसंद नहीं आता तो वह लेखिका पर
अपनी नाराजगी अवश्य व्यक्त कर देती |

प्रश्न 3 - भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?
उत्तर -
भक्तिन गांव में रहते हुए भी इस इस गुण से परिपूर्ण थी कि वह दूसरों को अपने मन के अनुसार
बना लेती थी | उसके इस गुण का प्रभाव लेखिका पर भी पड़ा | अब लेखिका ने गांव के लगभग सभी
संस्कारों को अपना लिया था | वह भक्तिन द्वारा सब सीख चुकी थी | वक्त ने रात को मकई का बना
दलिया, सवेरे मट्ठे के साथ बाजरे के तिल लगे रात के बचे हुए पुए, ज्वार के बुने हुए भुट्टे के दाने की
खिचड़ी आदि खिलाकर तथा उनके गुणों का वर्णन करके लेखिका को भी देहातन बना दिया था | 

प्रश्न 4 - भक्तिन की चारित्रिक विशेषताओं की व्याख्या करिए |
उत्तर - 
लेखिका ने एक भारतीय नारी का दिलचस्प और संवेदनशील चित्रण का प्रयत्न किया है | भक्तिन एक
संघर्षशील तथा स्वाभिमानी स्त्री है | वह परिस्थितियों से डरती नहीं, बल्कि उसका मुकाबला करती है |
पति की मृत्यु के बाद में खेत में कड़ा परिश्रम करके अपनी बेटियों का पालन पोषण करती है | शास्त्रों
के तर्कों द्वारा दूसरों का अपने मन के अनुकूल बना लेना भी उसमें कला है | भक्तिन कर्तव्य परायण,
संघर्षशील, स्वाभिमान आदि गुणों से युक्त होने के साथ-साथ सामान्य मनुष्य की भांति असत्य वादन,
हेरा-फेरी आदि थोड़े दुर्गुणों से भी युक्त थी |

 प्रश्न 5 - भक्तिन प्रखर तर्कशील थी प्रमाणित कीजिए |
                अथवा
भक्तिन वाकपटुता में बहुत आगे थी पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए |
उत्तर -
भक्तिन तर्क पट्टू थी | वह जिस बात को मानती थी उसे पूरी शक्ति से कहती थी | उसे कहा गया कि
वह घर में इधर-उधर रखे पैसों को मटकी में क्यों डालती है? यह चोरी है भक्तों से चोरी नहीं मानती |
वह इसे पैसे  संभालना मानती थी | इसके लिए तर्क करने को तैयार हो जाती थी | वह अपने केस मुंडा
ने को लेकर भी शास्त्रों का हवाला देती थी | इसी प्रकार पढ़ाई लिखाई से बचने के लिए वह अचूक तर्क
देती थी | हमारी मालकिन रात दिन किताबों में घड़ी रहती है अब मैं भी पढ़ने लगे तो घर गृहस्ती कौन
देखेगा? इस प्रकार  भक्तिन अपने पक्ष में तर्क देना बेखुदी जानती थी |

प्रश्न 6 - भक्तिन की बेटी के मामले में पंचायत के फैसले पर टिप्पणी कीजिए ऐसे रवैया में कैसे
निपटा जा सकता है ?
                  अथवा
भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा पति क्यों थोपा गया इस घटना के विरोध में 2 तर्क दीजिए |
उत्तर -
भारतीय विवाह संबंधी प्रथा के अनुसार लड़कियों को अपनी इच्छा अनुसार वर चुनने की स्वतंत्रता नहीं
होती तथा उनकी इच्छा को नजरअंदाज कर दिया जाता है | भक्तिन की बेटी के साथ भी ऐसा ही हुआ |
पति की मृत्यु के पश्चात उसका जेठ अपने लड़के के साले से भक्तिन की बेटी का विवाह करवाना चाहता
था, परंतु वह उसे वर के रूप में नापसंद कर देती है | तो वर महाशय उसका चरित्र कलंकित कर उससे
विवाह करने का हथकंडा बनाता है | पंचायत द्वारा वर को भक्तिन की बेटी का पति थोप दिया जाता है |
आज भी हमारे समाज में स्त्रियों की यही दशा है, जो स्त्रियों को मानव अधिकारों के विरुद्ध है | विवाह
जैसा गंभीर निर्णय लेने का लड़कियों का कोई अधिकार नहीं है, जो समाज की स्त्री विरोधी एवं पुरुषवादी
मानसिकता का द्योतक है | तथा सामाजिक समानता का विरोधी है | ऐसी समस्या को शिक्षा द्वारा स्त्रियों
के आत्मनिर्भर बनने में हल किया जा सकता है |
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ऊपर लिखे प्रश्नों का जवाब आप कुछ इस तरह भी दे सकते हैं और आप कुछ और आप
कुछ नए प्रश्नों के उत्तर भी देखिए | (25-अप्रैल-2020)

प्रश्न 1 - भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी  यह नाम किसने और क्यों दिया
होगा?
उत्तर - 
भक्तिन का वास्तविक नाम लक्षमिन अर्थात लक्ष्मी था जो लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता था,
नाम के विपरीत लक्ष्मी निर्धन और असहाय थी यह नाम उसके माता-पिता ने दिया होगा | उन्होंने सोचा
होगा की पुत्री पैदा होने पर वे धन-धान्य से भरपूर हो जाएंगे यह लड़की जहां भी जाएगी वही धन की वर्षा
होगी परंतु हुआ उसके विपरीत इसलिए उसने अपना वास्तविक नाम छिपाया | 

भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया था | लेखिका ने यह नाम शायद भक्तिन की सेवा भावना और 
कर्तव्यपरायणता  को देखकर दिया होगा क्योंकि भक्तिन में एक सच्ची सेविका के संपूर्ण गुण विद्यमान
थे, जिस पर कोई भी स्वामी गर्व कर सकता था |

प्रश्न 2 - दो कन्या रतन पैदा करने पर भक्तिन पुत्र महिमा में अंधी अपनी जेठानी यों द्वारा घृणा और
उपेक्षा का शिकार बनी | ऐसी घटनाओं से ही अक्सर यह धारणा चलती है की स्त्री ही स्त्री की दुश्मन
होती है | क्या इससे आप सहमत हैं ?
उत्तर - 
तीन कन्या रतन पैदा करने पर भक्तिन पुत्र महिमा में अंधी अपनी जेठानी द्वारा उपेक्षा व घृणा का शिकार
बने क्योंकि उन्होंने केवल पुत्र ही पैदा किए थे | भक्तिन की सास के भी तीन पुत्र थे|  इसलिए उसने भी
भक्त इनकी उपेक्षा की थी | ध्यान देने योग्य बात है कि भक्तिन को ग्रीन आया अपेक्षा नारी जाति से ही
मिली, अपने पति से नहीं | पति के स्नेह में कोई कमी नहीं आई ऐसी घटनाओं को देखकर प्राय यह धारणा
बनती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है | वास्तव में स्त्रियां स्वयं को पुरुषों से ही मानती हैं | अपनी कुंठित
और संकीर्ण मानसिकता के कारण नारी ही संसार में जन्म लेने वाली कन्या की उपेक्षा करती हैं | वह
केवल पुत्र को जन्म देने में अपनी महिमा समझती हैं अपनी सफलता मानती हैं | वह शायद जन्म लेने
वाली कन्या की उपेक्षा पुत्र को अधिक चाहती है वह पुत्र रतन की आकांक्षा के लिए एक सास और
जेठानी के रूप में नारी की उपेक्षा करती है |

प्रश्न 3 - भक्तिन में लक्ष्मी के भक्तिन बनने की प्रक्रिया मर्मस्पर्शी क्यों है अपने शब्दों में उत्तर
दीजिए | 
उत्तर - 
लक्ष्मी का जीवन दुखों से भरा था जब वह केवल  36 वर्ष की थी, तभी वह विधवा हो गई थी | पति
की मृत्यु के उपरांत उसके ससुराल वाले उसकी संपत्ति लेना चाहते थे इसलिए भी दूसरी शादी करने
पर बल देने लगे, परंतु लक्ष्मी ने ऐसा करने से स्पष्ट इनकार कर दिया | उसने अपने बड़े दामाद को
घर जमाई बना कर रखा, परंतु वह भी शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो गया | अपने घर में धन का अभाव
रहने के कारण वह लगान भी समय पर चुका नहीं पाई, जिस कारण उसे धूप में खड़े रहने की सजा
मिली इस अपमान को सहन न कर सकने के कारण वह अपना गांव छोड़कर शहर आ गई और लेखिका
के यहां सेविका बन गई | उस की वेशभूषा देखकर लेखिका ने उसका नाम भक्तिन रख दिया | इस प्रकार
लक्ष्मी के भक्त बनने की प्रक्रिया यथार्थ में अत्यंत मर्मस्पर्शी है |

प्रश्न 4 - भक्तिन अच्छी है पर उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं | लेखिका के इस कथन के आलोक
में चरित्र की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए |
उत्तर - 
भक्तिन अच्छी है यह कहना कठिन होगा क्योंकि उसमें दुर्गुणों का कमी नहीं है | लेखिका ने ऐसा
इसलिए कहा क्योंकि कभी-कभी भक्तिन उसके घर में इधर-उधर पड़े पैसों को उठाकर भंडार घर की
मटकी में छिपा देती थी | जिस पथ से लेखिका को क्रोध आ जाता था  |उसे वह बदल कर इधर-उधर
करके बताया करती थी जब उसके इस कार्य की ओर इशारा किया जाता था | तो वह इसे चोरी ना
मानकर तर्क शिरोमणि के समान शास्त्रार्थ के लिए चुनौती देती थी कि वह इसे संभाल कर रखना बताती
थी |
1) वह अपनी स्वामिनी के क्रोध से बचने के लिए बात को इधर-उधर करके बताने को झूठ नहीं मानती थी |
2) वह शास्त्रीय बातों की व्याख्या अपनी इच्छा अनुसार करती थी |
3) वह दूसरों को अपने मन के अनुसार बना लेना चाहती थी, पर स्वयं रंचभर भी नहीं बदलती थी |

प्रश्न 5 - भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई थी?
उत्तर - 
भक्तिन के आ जाने से  महादेवी का खाना पहनना देहाती तरीके में ढल गया | भक्तिन जो कुछ बनाना
जानती थी, महादेवी को वैसा ही खाना पड़ा | उसे रात को बने मकई के दलिए के साथ मट्ठा पीना पड़ा |
बाजरे के तिलवाले  पुए खाने पड़े | ज्वार के भुने हुए भुट्टे की खिचड़ी खानी पड़ी | सफेद महुआ की लापसी
का आनंद लेना पड़ा | इन सब चीजों को प्राय देहाती लोग खाते हैं | महादेवी वर्मा बार-बार प्रयास करके
भी उसके स्वभाव को परिवर्तित नहीं कर सकी | इसलिए भक्तिन के आ जाने से महादेवी वर्मा अधिक
देहाती हो गई थी |

प्रश्न 6 - भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना  स्त्री के मानवाधिकार को
कुचलने की परंपरा का प्रतीक है इस कथन पर तर्कसंगत टिप्पणी कीजिए |
उत्तर - 
भारतीय समाज एक पुरुष प्रधान समाज है | इस समाज में पुरुष समाज की पूर्ण रूप से स्वतंत्र है | नारी
समाज नहीं सदियों से नारी इसी सामाजिक परंपरा का शिकार होती आई है प्राय देखा जाता है कि
विवाह के संदर्भ में केवल पुरुष की आकांक्षाओं की पूर्ति की जाती है | पुरुष विवाह करने के या ना करने
के प्रत्येक दृष्टिकोण से स्वतंत्र होता है | लेकिन एक स्त्री अनेक मर्यादाओं में दबकर रह जाती है | जब
भी अपनी इच्छा जाहिर करना चाहती है | तभी इस समाज में अनेक मर्यादाए  उसके सामने दीवार
बनकर खड़ी हो जाती हैं | 

भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने जो जबरदस्ती की उसका दंड उसे
मिलना चाहिए था, किंतु गांव की पंचायत ने लड़की की अनिच्छा के बावजूद भी उसे तीतर बाज
युवक के साथ  बांध दिया | विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार को कुचलने की परंपरा इस देश
में सदियों पुरानी है | विडंबना यह है कि बेटियों में विरोध करने की क्षमता भी नहीं रही यदि भक्तिन
की बेटी की तरह कोई विरोध करने का साहस भी करता, तो पंचायत | जहां युवती की इच्छाओं और
अधिकारों को अनदेखा करके पुरुष प्रधान पंचायत एकपक्षीय निर्णय देकर युवती पर पति थोप देती है |

प्रश्न 7 - भक्तिन के ससुराल वालों ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया और क्यों ?
उत्तर -
भक्तिन के ससुराल में  भक्तिन के साथ सब व्यवहार करने वाला एकमात्र व्यक्ति था उसका पति |
उसे सचमुच प्रेम करता था | उसके अन्य भाई अपनी-अपनी पत्नियों को धमाधम पीटा करते थे, परंतु
उसने अपनी पत्नी को कभी हाथ भी नहीं लगाया था | वह  भक्तिन से अगाध प्रेम करता था | भक्तिन
की सास और जेठानी या उसके साथ क्रूरता से पेश आती थी | इसके मुख्य दो कारण थे, भक्तिन
सबसे छोटी बहू थी, इसलिए स्वभाविक रूप से वे सब उस पर अपना रौब जमाना चाहती थी |

दूसरा महत्वपूर्ण कारण था कि भक्ति ने तीन कन्याओं को जन्म दिया था | जबकि उसकी जेठानी या
और सास ने लड़के पैदा किए थे | इस कारण वे सब आराम फरमाती थी यहां तक कि उसकी सास ने
उसके पिता की मृत्यु का समाचार भी उसे नहीं दिया | भक्तिन के ससुराल वालों ने भक्तिन को अपने
शिकंजे में कसने के लिए हर प्रकार के षडयंत्र किए उसे पुनर्विवाह के लिए भी कहा | उसकी विधवा
लड़की के साथ जबरदस्ती भी की | आखिरकार स्वाभिमानी  भक्तिन गांव छोड़कर शहर में महादेवी
वर्मा के पास सेविका के रूप में रहना स्वीकार किया |

प्रश्न 8 - भक्तिन पाठ के आधार पर बताइए कि हमारा समाज विधवा के साथ कैसा व्यवहार
करता है ?   
अथवा
भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बीता पाठ के आधार
पर उत्तर दीजिए ?
उत्तर - 
हमारा समाज विधवा को अपना शिकार  बनाता है | कोई भी व्यक्ति चाहे वह अपना हो या पराया
उसके साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार नहीं करता | भक्तिन के जेठ और  ससुराल वाले उसकी घर संपत्ति
को लूटकर उसे पंगु बना देना चाहते थे | उसकी लड़की के विधवा होने पर तो वे उसे नोच कर खाने
के लिए ही तैयार हो जाते हैं  |परिवार वालों एक तीतर बाज युवक को विधवा पर धावा बोलने के
लिए प्रेरित करना बहुत घृणित व्यवहार है | इसमें पुरुषों के साथ महिलाएं भी सम्मिलित हैं | यहां तक
कि गांव की पंचायत भी विधवाओं की लाज की रक्षा नहीं कर सकती | वह भी विधवाओं के लिए
बेड़ियां तैयार करती है और जबरन अपने नतीजे उन पर लागू करती है |

प्रश्न 9 - भक्तिन के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालें |
उत्तर -
भक्तिन महादेवी वर्मा द्वारा लिखित एक संस्मरणत्मक रेखाचित्र हैइसमें लेखिका ने भक्तिन सेविका
के अतीत और वर्तमान का चित्रण करते हुए उसके जीवन संघर्ष का वर्णन किया है | भक्तिन उसके
मुख्य पात्र है उसके चरित्र की निम्न विशेषताएं हैं :
1)  व्यक्तित्व
2)  महान सेविका
3)  बुद्धि मती
4)  परिश्रमी
5)  साहसी

प्रश्न 10 - लेखिका के कार्यों में भक्तिन किस प्रकार से सहायता करती थी ? भक्तिन पाठ के संदर्भ
में उत्तर दीजिए |
उत्तर - 
भक्तिन लेखिका के कार्यों में हर प्रकार से सहायता करती थी | वह लेखिका के खान-पान, रहन- सहन
इत्यादि का ध्यान रखती थी | वह उसकी पुस्तकों का भी ध्यान रखती थी और कभी-कभी छात्रावास के
बच्चों की भी देखभाल कर लिया करती थी | लेखिका के इधर-उधर पड़े रुपयों को भी मटकी में संभाल
कर भंडार घर में रख देती थी | अतः लेखिका की सहायता के लिए छाया बन कर उसके साथ रहती थी |




शुभकामनाओं सहित !

नीलम
35-मॉडल, चंडीगढ़ |

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