विद्यार्थियों
आज हम वितान पुस्तिका का अध्याय 1 - सिल्वर वेडिंग (लेखक - मनोहर श्याम जोशी) करेंगे |
सार
सार
सिल्वर वेडिंग कहानी के लेखक प्रसिद्ध पत्रकार और कथाकार मनोहर श्याम जोशी हैं | इस कहानी
में कथाकार ने 2 पीढ़ियों के अंतराल का मार्मिक अंकन किया है | पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति के
प्रभाव से आधुनिकता की ओर बढ़ता हमारा समाज एक और कई नई उपलब्धियां प्राप्त करता है |
तो दूसरी ओर भारतीय संस्कृति के मनुष्य को मनुष्य बनाए रखने वाले मूल्य निरंतर कम होते चले जा
रहे हैं | इसमें दो वाक्य “जो हुआ होगा” और “सम हाउ”का प्रयोग हुआ है | जो क्रमश: यथा स्थिति
वाद यानी ज्यों का त्यों स्वीकार लेने का तथा अनिर्णय की स्थिति का परिचायक है |
यशोधर बाबू कहानी के मुख्य पात्र हैं | वे होम मिनिस्ट्री में सेक्शन ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं |
उनके अधीनस्थ कर्मचारी उनके कारण कार्यालय में 5:00 बजे तक बैठे रहते हैं | शाम को चलते
चलते हुए अपने दिन भर के शुष्क व्यवहार को कोई मनोरंजन बात कहकर हल्का करने की कृष्णानंद
पांडे की परंपरा का निर्वाह करते हैं | उनके अधीनस्थों में एक नए लड़के चड्ढा का पहनावा | उन्हें अच्छा
नहीं लगता लेकिन मैं कुछ कह नहीं पाते चड्ढा कुछ मुंहफट भी है | एक बार उसने पंत जी से पूछा बड़े
बाबू आपकी अपनी चूहा दानी का क्या हाल है | क्या सही वक्त देती है पंत जी ने उसकी धृष्टता को
अनदेखा कर दिया तो पंत जी की कलाई थाम ली और घड़ी की और देखऔर बोला बाबा आदम के
जमाने की हैबड़े भाई यह तो अब तो डिजिटल ले लो | एक जापानी सस्ती मिल जाती है | यशोधर
बाबू नहले पर दहला मारते हुए कहते हैं कि यह घड़ी मुझे शादी इसमें मिली थी | हम पुरानी चाल के
हमारी घड़ी पुरानी चाल की अरे बहुत-बहुत है कि अब तक राइट टाइम चल रही है | क्यों कैसी रही ?
किशन दा यशोधर बाबू के आदर्श थे | क्योंकि उन्होंने ही यशोधर को अपने दफ्तर में नौकरी दिलवाई
दफ्तरी जीवन में मार्गदर्शन किया | किशन दा ने यद्यपि विवाह नहीं किया था | लेकिन उन्होंने पहाड़
से आए कितने ही लड़कों को नौकरी लगाने का आश्रय दिया था |
चड्डा ने उनसे पूछा कि आपकी शादी कब हुई थी | यशोधर बाबू ने बताया कि उनका विवाह 6 फरवरी
1947 को हुआ मैंने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि आज तो आपका सिल्वर वेडिंग है चटाने चपरासी को
बुलाया | और उनसे सिल्वर गाड़ी की पार्टी के नाम पर जैसे तैसे ₹30 निकलवा लिए | बाबू परंपरागत
मूल्यों को बनाए रखने के पक्षधर थे | उन्होंने सिल्वर वेडिंग को गोरे लोगों का जो चला बताया | लेकिन
फिर भी उन्होंने चड्ढा के जिद पर ₹30 दे दिए 1 दिन में लगभग 10 सिगरेट पी जाते हैं, जो कि काम करने
की शैली को प्रभावित नहीं कर पाती | वे सभी से मृदु व्यवहार बनाए रखते हैं | फिजूलखर्ची में विश्वास
नहीं रखते थे पहले गोल मार्केट से एक्टिवेट तक साइकिल पर आते जाते थे | उनके बच्चे युवा हो चुके थे |
उन्हें पिता का साइकिल सवार होना अच्छा नहीं लगता था | बच्चे चाहते थे कि पिताजी स्कूटर ले ले |
परंतु उन्हें समहाऊ बेहूदा सवारी मालूम होती है | अतः वह पैदल ही दफ्तर आते जाते हैं |
बाबू के 3 पुत्र और एक पुत्री है | बड़ा पुत्र भूषण एक विज्ञापन कंपनी में नौकरी करता है | उसे असाधारण
वेतन मिलता है | उसका दूसरा बेटा आईएएस की तैयारी कर रहा है | दूसरी बार परीक्षा में बैठ रहा है |
क्योंकि पिछले साल एलाइड सर्विस की सूची में उसका नंबर काफी नीचे था | उसने ज्वाइन नहीं किया |
तीसरा बेटा स्कॉलरशिप लेकर अमेरिका चला गया था | उनकी एकमात्र पुत्री का कोई वर् पसंद नहीं
आता | तमाम प्रस्तावित वर को अस्वीकार करती चली आ रही है | उनकी बेटी भी डॉक्टर की उच्चतम
शिक्षा के लिए अमेरिका चले जाने की धमकी देती है | यशोधर बाबू बच्चों की इस तरक्की से प्रसन्न
है | वहां सम हाउ यह भी अनुभव करते हैं कि वे खुशहाली भी कैसी जो अपनों से प्परायापन पैदा करें |
अपने बच्चों द्वारा गरीब रिश्तेदारों की अपेक्षा उन्हें नहीं जचती | परंतु वे जनरेशन के गैप की बात कहकर
स्वयं को दिलासा देते हैं |
यशोधर बाबू की पत्नी अपने मूल संस्कारों से किसी भी तरह आधुनिक नहीं लगती | किंतु बच्चों की
तरफदारी करने की मात्री सुलभ मजबूरी ने उन्हें भी मॉडर्न बनने पर विवश कर दिया | जब विष्णु देव
बाबू का विवाह हुआ तब उनका संयुक्त परिवार था | यशोधर बाबू परिवार में छोटे थे | शिव परिवार
में बहू के बीच बढ़े तनाव थे | उनकी पत्नी को हमेशा यही शिकायत थी कि इस दौर में पति ने कभी
उनका पक्ष नहीं लिया | जेठानी यों की चलने दी | उनकी हर बात को अनसुना कर दिया उसे आचार
व्यवहार ऐसे बंधनों में जकड़ कर रखा गया | मानो वह जवान औरत नहीं बुढ़िया थी | अब उनका पत्नी
के साथ मतभेद होने लगे | उनकी पत्नी ने साफ कह दिया अगर बाबा आदम के जमाने की बातें बच्चे
नहीं मानते तो इसमें उनका कोई कसूर नहीं | वह भी इन बातों को उचित हद तक मानेगी| जिस हद
तक निभाना होगा | किशनदा जिन्होंने यशोधर बाबू की जीवन पर्यंत सहायता की | अपने जमाने के
रंगीन मिजाज और बेफिक्र इंसान थे | क्योंकि वह अविवाहित है | रिटायरमेंट के पश्चात उनकी जो
हुआ होगा से मौत हो जाती है | जिधर बाबू को लगता है कि बच्चों का होना भी जरूरी है | उनके
बच्चे मनमानी कर ऐसा संकेत करते हैं | मान ने बुढ़ापे में उनसे कोई सुख प्राप्त नहीं होगा यशोधर
बाबू सोचते हैं कि जब जिम्मेदारी सिर पर पड़ेगी तब सब ठीक हो जाएगा |
यशोधर बाबू अपने परिवार से वैचारिक आधार पर कभी नहीं जुड़ सके आधुनिकता और प्राचीनता
परंपरागत मूल्यों और पाश्चात्य चकाचौंध की खाई उनके संबंधों को नहीं भर सकती | यशोधर बाबू
की पत्नी समय के अनुसार बदल लेती है | अपने आपको लेकिन पंत जी ऐसा कभी नहीं कर सके |
वह मन मन ही मन स्वीकार करते की दुनियादारी में बीवी बच्चे उनसे इतने अधिक सुलझे हो सकते हैं |
उन्हें बच्चों की गैर जिम्मेदार होना कुल मिलाकर अच्छा नहीं लगता | यशोधर बाबू ने कि चंदा की उक्ति
मूर्ख लोग मकान बनाते हैं | और सिया ने उन में रहते हैं | का अनुसरण करते हुए कभी मकान बनाने की
नहीं सोची सदा सरकारी क्वार्टर में रहे उनका सोचना था | कि जब तक सरकारी नौकरी है तब तक
सरकारी क्वार्टर में रहेंगे रिटायरमेंट होने पर गांव का पुश्तैनी मकान तो है | वे सोचते थे उनका कौन
कोई सा बेटा उनके रिटायरमेंट होने से पहले सरकारी नौकरी में आ जाएगा | तो क्वार्टर फिर से उनके
पास बना रह जाएगा बाबू चाहते थे | कि उनका आदर करें प्रत्येक बात में सलाह लिया करें साथ ही
नहीं चाहते थे | कि उनके कहे को पत्थर की लकीर समझे | लेकिन बच्चों का कहना है कि पापा आप
तो हद करते हैं | जो बात आप जानते ही नहीं आप क्यों पूछे बच्चे चाहते हैं | कि पंत जी बाजार से
सामान लेने का सारा काम छोड़ दें | उनके लिए घर में नौकर रख लिया जाएगा | उनका कमाऊ बेटा
कहता कि उनकी तनख्वाह दे देगा | यशोधर बाबू घर में नौकर रखने के पक्ष में नहीं है | क्योंकि उनका
मानना कि नौकरों को सौपा हुआ कारोबार चौपट हो जाता है | काम सब अपने हाथों से ही ठीक होते हैं |
यशोधर बाबू के बच्चे उनकी 25 में विवाह की सालगिरह को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं | एक बड़ी पार्टी
का आयोजन करते हैं | इस बात का पता यशोधर बाबू को घर पहुंचने पर ही चलता है | घर पहुंच कर
वहां के माहौल को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं | उन्हें अपनी पत्नी होठों पर लाली और बालों
पर खीजाब यानी कलर लगाए दिखाई देती है | जब कार वाले मेहमान चले जाते हैं | तो यशोधर बाबू
घर में प्रवेश करते हैं | घर में अभी पार्टी चल रही है | उनके पुत्र पुत्रियों के कई मित्र और उनके रिश्तेदार
अभी भी जमे हुए हैं | इधर बाबू को अपने बेटों से अनेक तरह की शिकायत है | लेकिन कुल मिलाकर
उन्हें अच्छा लगता है कि लोग- बाग उन्हें ईर्ष्या का पात्र समझते हैं | यशोधर बाबू ने चाहते हुए भी पार्टी
में केक काटते हैं | वह अपनी पत्नी को केक खिलाते हैं | लेकिन वे केक खाने से इंकार कर देते हैं | वह
लड्डू भी नहीं खाते क्योंकि उन्होंने अभी तक संध्या पूजा नहीं की | यह कहकर वे संध्या पूजा करने कमरे
के अंदर चले जाते हैं | उस दिन में पूजा में कुछ ज्यादा ही समय लगा देते | सारे मेहमान धीरे धीरे जाने
लगते हैं | पार्टी वाले दिन उनका बड़ा बेटा भूषण उन्हें ड्रेसिंग गाउन भेंट करता है | ड्रेसिंग गाउन भेंट करते
हुए भूषण कहता कि आप सवेरे यही गाउन पहनकर दूध लेने जाया करें | यह गाउन पर उन्हें ऐसा महसूस
होता है कि उनके अंगों में किशन दा उतर आए हैं | जिनकी मौत “जो हुआ होगा” से हुई |
प्रश्न 1 - यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर
बाबू असफल रहते हैं ऐसा क्यों?
उत्तर -
यशोधर बाबू की पत्नी संयुक्त परिवार के बंधनों में जकड़ी रही थी | परिवार में उनकी कभी नहीं
चली | अब वह स्वतंत्रता के अवसर को खोना नहीं चाहती | वे समय को भली भांति पहचानती है |
वह जानती है कि बच्चों की सहानुभूति तभी प्राप्त की जा सकती है, जब उनके अनुसार चला जाए |
वह धर्म- कर्म, कुल- परंपरा सबको ढोंग ढकोसला कहती हुई समय के साथ ढलने में सफल होती है |
किंतु यशोधर बाबू समय के अनुसार ढलने में असफल रहते हैं | क्योंकि वह हमेशा अनिर्णय की स्थिति
में रहते हैं | उनके भीतर आधुनिक-प्राचीन मूल्यों और परंपराओं के बीच द्वंद है | वह परंपरावादी होने के
कारण परिवार के आधुनिक सदस्यों से तालमेल नहीं बिठा पाते | उनमें और परिवार के अन्य सदस्यों
के मध्य वैचारिक अंतर है |
प्रश्न 2 - पाठ में “जो हुआ होगा” वाक्य कि आप कितनी अर्थ छवियां खोज सकते हैं ?
उत्तर -
जो हुआ होगा वाक्य पाठ में पहली बार तब आता है | जब यशोधर कि चंदा के किसी जाति भाई से
उनकी मृत्यु का कारण पूछते हैं | उत्तर में जाति भाई ने कहा “जो हुआ होगा” यानी पता नहीं, क्या हुआ ?
आशय यह है कि बिना बाल बच्चे वाले की चंदा के संबंध में उनके जाती भाई इतने उदासीन थे कि उनकी
मृत्यु किस कारण से हुई उन्होंने यह जानने की जरूरत भी नहीं समझी | किशनदा की मौत में इस वाक्य
की आधार पर यह निकलाता है कि विवाह एक आवश्यक संस्कार है | बाल बच्चों में भविष्य की अर्थात
वृद्धावस्था की सुरक्षा का बोध बना रहता है | यदि किशोर दा के बाल बच्चे होते तो जाती भाई उनके प्रति
इतनी उदासीन नहीं हो सकते थे | वह बच्चों का होना जरूरी है |
यह वाक्य किशन दा भी उपयोग करते हैं | वह इसका प्रयोग अपनों से मिली उपेक्षा के लिए करते हैं |
देखिए - किशन दा कह रहे थे कि भाव सभी जन इसी “जो हुआ होगा” से मरते हैं, ग्गृहस्थ हो, ब्रह्मचारी
हो, अमीर हो, गरीब हो मरते “जो हुआ होगा” से ही है | हां-हां शुरू में और आखिर में सब अकेले ही होते
हैं | अपना कोई नहीं ठहरा दुनिया में बस अपना नियम अपना हुआ | पाठ के अंत में यशोधर बाबू को बच्चों
से मिली | ऐसी ही व्यंग्य उक्ति के कारण लगा कि सचमुच कि किशनदा की मौत “जो हुआ होगा” से हुई
होगी | जब बच्चे अपने बुजुर्गों की जीते जी उपेक्षा करने लगते हैं ,तो उनके प्राण सूख जाते हैं |
प्रश्न 3 - “समहाउ इमप्रॉपर” वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में
तकिया कलाम की तरह करते थे इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से
क्या संबंध बनता है ?
उत्तर -
“समहाउ इमप्रॉपर” का अर्थ है- कुछ ना कुछ अनुचित अवश्य है | यशोधर बाबू इस वाक्य का प्रयोग
एक तकिया कलाम के रूप में करते हैं | यह वाक्य उनके व्यक्तित्व की यथास्थिति का द्योतक है समाज
में, देश में अथवा उनके परिवार में आधुनिकता के नाम पर जिस पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण किया
जाता है | वह यशोधर बाबू को कुछ अनुचित लगता है | वह निर्णय नहीं कर पाते कि यह उचित है या
अनुचित, इसलिए इस वाक्य का प्रयोग करते हैं | यशोधर बाबू अपने बच्चों की तरक्की से एक और
खुश है | लेकिन वह यह भी अनुभव करते हैं कि ऐसी खुशहाली किस काम की जो अपनों से परायापन
उत्पन्न करती है | यह वाक्य कहानी का मूल आधार है | यह मूल वाक्य यशोधर बाबू के व्यक्तित्व के
द्वंद को भी व्यक्त करता है |
प्रश्न 4 - यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशन दा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है आपके
जीवन को दिशा देने में किस का महत्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे ?
उत्तर -
यशोधर बाबू का जीवन पूरी तरह किशनदा से प्रभावित है | उनका अधीनस्थ के प्रति व्यवहार, भारतीय
मूल्यों में विश्वास, साधारण रहन-सहन, धन दौलत के प्रति अनासक्ति आदि सभी किशनदास से प्रभावित
होने के कारण है| प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कोई ना कोई आदर्श या प्रेरक होता है | मेरे जीवन को
दिशा देने का कार्य मेरे बड़े भाई साहब का है | वे आज एक प्रसिद्ध शिक्षाविद है | उन्होंने अपनी सभी
परीक्षाएं उच्च प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी | वह बहू पठित है | उन्हें विविध विषयों का गंभीर ज्ञान है |
उनका हमारे पिताजी प्रशासनिक सेवाओं मैं भेजना चाहते थे | किंतु उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि मैं
विश्वविद्यालय परिसर में अध्यापक बनना चाहता हूं | आज उनका पद प्रोफेसर का है |
उनकी बातें सुनकर उनको मिले पुरस्कार को देखकर मैंने भी यही निर्णय लिया है, कि मुझे उन जैसा बनना
है | इसलिए मैंने प्रारंभिक कक्षाओं से ही अच्छा परीक्षा परिणाम पाना आरंभ कर दिया | अपने विद्यालय
की सांस्कृतिक गतिविधियों में मेरी सक्रियता से मेरे गुरु जन अत्यंत प्रसन्न है | मैं कॉलेज की हॉकी टीम
का कैप्टन हूं और एक टीवी चैनल के क्विज में भी मेरा प्रथम स्थान आया है | मैं भाई साहब को सादगी
सरलता में भारतीय मूल्यों के प्रति आस्था से बहुत प्रभावित हूं |
प्रश्न 5 - सिल्वर वेडिंग कहानी में एक और स्थिति को ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लेने का भाग है, तो
दूसरी ओर अनिर्णय की स्थिति भी कहानी के इस द्वंद को स्पष्ट कीजिए?
उत्तर -
मनोहर लाल जोशी द्वारा रचित सिल्वर वेडिंग कहानी में स्थिति को ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लेने का
भाग है, तो दूसरी ओर अनिर्णय की स्थिति का द्वंद प्रारंभ से अंत तक बना रहता है | कहानी के मुख्य
पात्र यशोधर बाबू एक साधारण व्यक्ति हैं | वह संयुक्त परिवार को ही अच्छा मानते थे | तथा अपने
संबंधियों की सहायता करना अपना फर्ज समझते थे | उनके बच्चे पढ़ लिखकर अच्छा वेतन प्राप्त
कर रहे हैं | लेकिन यशोधर बाबू उनके कहने पर भी अपनी सादगी को नहीं छोड़ना चाहते थे | बच्चों
के कहने पर यशोधर बाबू की पत्नी ने शादी की 25वीं वर्षगांठ पर पार्टी करने के प्रस्ताव को स्वीकार
कर लिया | लेकिन ऑफिस में यशोधर बाबू से सहकर्मियों द्वारा दावत मांगे जाने पर वे केवल मिठाई
खाने के लिए कुछ रुपए ही देते हैं | घर पर आयोजित पार्टी में वे अनमने ढंग से शामिल तो हो जाते हैं,
लेकिन खाना नहीं खाते इस प्रकार अनेक ऐसी स्थितियां आती हैं | जब यशोधर बाबू को ना चाहते
हुए भी ढलना पड़ता है | वस्तुतः वे अनिर्णय की स्थिति से बाहर नहीं आ पाते इस प्रकार संपूर्ण कहानी
परंपरागत जीवन -शैली और आधुनिक विचारधारा से प्रेरित जीवन- शैली से उत्पन्न द्वंद के बीच
रची-बसी है |
प्रश्न 6 - सिल्वर वेडिंग कहानी का प्रमुख पात्र वर्तमान में रहता है, कि अतीत को आदर्श मानता है |
इससे उसके व्यवहार में क्या-क्या विरोधाभास दिखाई पड़ते हैं ? स्पष्ट कीजिए |
उत्तर -
बचपन से ही यशोधर पंत जी पुराने आदर्शों को ही मानते आए थे | इसलिए उन्हें अपने सिद्धांतों पर
चलना अब सही लगने लगा था | किशनदा, जिन्होंने जीवन के हर मोड़ पर उनकी सहायता की, उनके
सिद्धांतों को ही यशोधर बाबू ने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था | यशोधर बाबू नई पीढ़ी के विचारों
से बिल्कुल भी सहमत नहीं थे | इसका प्रभाव उनके जीवन में इस प्रकार पड़ा कि वे अपने ही परिवार से
दूर हो गए | परिवार के लोगों ने नए ढंग से चलने के लिए कहने लगे | पत्नी भी कह देती थी, कि आप
भी इतने पूजा पाठ में लगे रहते हैं जैसे कि बूढ़े हो गए हो बेटा भी उनके साईकिल चलाने के विरोध में
था | और उनकी बेटी भी अमेरिका जाने की धमकियां देती थी | भूषण अपनी कमाई का रोब प्रत्येक
कार्य में दिखा देता था | यशोधर पंथ अपने सिद्धांतों के प्रति निष्ठा वान थे | लेकिन उनकी पत्नी और
बच्चे आधुनिक नियमों को मानने के कारण यशोधर बाबू के विपरीत ही सोचते थे | इन विपरीत
परिस्थितियों के कारण ही पंत जी के जीवन में अनेक विरोधाभास दिखाई पड़ते हैं |
प्रश्न 7- यशोधर बाबू द्वारा घर में पार्टी के दिन पूजा का समय बढ़ाना | उनके मानसिक द्वंद्व को प्रकट
करता है | पाठ सिल्वर वेडिंग के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर -
यशोधर बाबू अपनी शाम की पूजा का समय 15:00 मिनट से बढ़ाकर 25 मिनट तक ले जाते हैं | क्योंकि
वे चाहते हैं कि उनकी पूजा के दौरान ही पार्टी में आए लोग खा पी कर चले जाएं | यशोधर बाबू आधुनिकता
के मानदंडों को स्वीकार नहीं कर पाते | उन्हें आज की जीवनशैली में जीना समहाउ इम्प्रॉपर लगता है - बेटे
द्वारा गैस के चूल्हे का प्रबंध करना, फ्रिज का घर में आना, सोफा, डबल बेड तथा श्रृंगार मेज आदि सभी
दिखावा करने के प्रतीक लगते हैं | अपनी शादी की 25वीं वर्षगांठ मनाना भी उन्हें गलत ही लगता है |
पश्चिमी सभ्यता के अनुसार केक- काटना मेहमानों से औपचारिकता निभा ना, यशोधर बाबू को उनके
सिद्धांतों के विरुद्ध लगता है | अपने इन्हीं दृष्टिकोण के फल स्वरुप में नए व पुराने जैसे सिद्धांतों के द्वंद
में फंसे हुए हैं | वे अपने मन में बसी हुई किशनदा वाली छवि से बाहर ही नहीं निकल पाते | यह अपेक्षा
रखते हैं कि उनके सिद्धांत आज भी उनका मार्गदर्शन कर सकेंगे और यह बता सकेंगे कि उनके बीवी-बच्चे
जो कुछ भी कर रहे हैं, उसके विषय में क्या व्यवहार अपनाना चाहिए, परंतु उन्हें इसका कोई संतोषजनक
उत्तर नहीं मिलता | उन्हें पार्टी अपने सिद्धांतों के विपरीत लगती हैं इसलिए यशोधर बाबू अपनी पूजा का
समय बढ़ा देते हैं |
प्रश्न 8 - सिल्वर वेडिंग आधुनिक पारिवारिक मूल्यों के विघटन का यथार्थ चित्रण है - इस कथन
की विवेचना कीजिए |
अथवा
आज का जीवन धन पर आधारित है सिल्वर वेडिंग कहानी के आधार पर स्पष्ट करें |
उत्तर -
यशोधर बाबू पाश्चात्य सभ्यता से विरक्त रहते हैं | उनका व्यवहार अपनी पत्नी और बच्चों के प्रति
विरोध की भावना दर्शाता है | क्योंकि भी प्राचीन विचारों का समर्थन करते हैं, जबकि उनका परिवार
आधुनिक विचारों के पक्ष में रहता है | वर्तमान समय वस्तुतः अर्थ पर आधारित हो गया है वर्तमान
समय में यदि परिवार में धन की अधिकता है, तभी परिवारिक संबंध निभ एवं टिक पाते हैं | अन्यथा
परिवार को बिखरते देर नहीं लगती यशोधर बाबू को धन से विशेष लगाव नहीं है इसलिए मैं अधिक
धन कमाने पर ध्यान नहीं देते | उनका बड़ा भूषण विज्ञान कंपनी में 1500 रुपए प्रतिमाह पर काम
करता है और उन दोनों के बीच वैचारिक अंतर बहुत गहरा है | पैसे के कारण उनके घर में तनाव बना
रहता था | इसलिए कहा जाता है कि आज का जीवन धन पर आधारित है | आज संबंधों का टिकना
आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है | अर्थात जब तक आर्थिक स्थिति बेहतर रहती है | तब तक सब
ठीक रहता है |यदि धन का अभाव होने लगता है | तो संबंधों में धीरे-धीरे खटास और दूरियां बढ़
जाती है | अतः इसलिए कहा जाता है कि सिल्वर वेडिंग आधुनिक परिवारिक मूल्यों के विघटन का
यथार्थ चित्रण है |
प्रश्न 9 - यशोधर बाबू के मिलनसार व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए ?
उत्तर -
यशोधर बाबू का स्वभाव एक मिलनसार व्यक्ति का है | अपने इसी स्वभाव के कारण वे दिन भर
काम में लगे रहने के उपरांत भी शाम को जाते समय हंसी मजाक किया करते थे | कब से अकेले
दिल्ली आने के पश्चात किशनदा के घर पर कई लोगों के साथ मिलकर रहने का गुण भी | उनकी
इसी विशेषता को रेखांकित करता है | अपने मिलनसार व्यक्तित्व के कारण ही वे खुशी या गम
हर अवसर पर रिश्तेदारों के यहां जाना आवश्यक समझते हैं | चाहते कि बच्चे भी परिवार की
महत्ता को समझे और इस परंपरा को बनाए रखें | वह अपनी बुआ को भी कुछ पैसे आर्थिक सहायता
के लिए भेजते रहें | इसके साथ ही, वे कई सामाजिक आयोजनों में भी रुचि लेते हैं | जैसे घर में
होली मनाना, सब कुमाऊनी यों को जनेऊ बदलने के लिए अपने घर आमंत्रित करना, राम लीला
की तैयारी के लिए क्वार्टर का एक कमरा दे देना, आदि इन सब बातों से यह पता चलता है, कि
ईश्वर बाबू ने केवल पारिवारिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी वे
अत्यधिक मिलनसार व्यक्ति थे |
प्रश्न 10 - किशनदा ने यशोधर बाबू की बहुत सहायता की थी | इस कथन को सिल्वर वेडिंग
कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए |
उत्तर -
यशोधर बाबू जब दिल्ली में आए तब उनकी आयु सरकारी नौकरी के अनुरूप नहीं थी | इस कठिन
परिस्थितियों में उनके पास यहां रहने का कोई स्थान भी नहीं था, तब किशनदा ने यशोधर बाबू को
अपने घर रहने के लिए स्थान दिया और गांव से उनके घर पर ठहरने वाले लड़कों के लिए खाना
बनाने के लिए रसोईया के रूप में रख लिया | यशोधर को मैस का रसोईया बना दिया | उन्होंने
यशोधर बाबू को ₹50 भी दिए | जिससे मैं नए कपड़े सिलवा सके और कुछ पैसे गांव भी भेज सके |
यशोधर बाबू जब गांव से आए थे तब उनकी देरी से उठने की आदत थी | किशनदा ने उनकी आदत
को सुधारते हुए जीवन में जल्दी उठने का महत्व बताया | इसके पश्चात उनकी यह आदत जीवन पर्यंत
बनी रही | किशनदा ने उनकी शिक्षा में भी सहायता की और नौकरी भी उन्होंने ही दिलवाई | किशनदा
ने जीवन के हर सुख-दुख में मार्गदर्शन की वह यशोधर बाबू को भाऊ यानी बच्चा कहते थे | शादी के
बाद भी किशनदा यशोधर बाबू का बहुत ध्यान रखते थे | इस प्रकार की किशनदा यशोधर पंत जी
की बहुत सहायता थी |
शुभकामनाओं सहित !
नीलम
35-मॉडल, चंडीगढ़ |
35-मॉडल, चंडीगढ़ |
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